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एजुकेशन फॉर भारत कॉन्क्लेव का सफल समापन, शिक्षाविद् और विद्धानों ने शिक्षा में एआई के इस्तेमाल पर किया मंथन

अमर उजाला एजुकेशन फॉर भारत कॉन्क्लेव में शनिवार को कई शिक्षाविद्, विद्धान और सरकार से जुड़ी अहम शख्सियतें शामिल हुईं। कार्यक्रम में पूर्व दिग्गज क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने शिक्षा जगत से जुड़े अपने अनुभव साझा किए और बताया कि बच्चों में कौशल विकसित करना बेहद जरूरी है। इसके अलावा अलग-अलग क्षेत्रों के शिक्षाविदों ने शैक्षिक जगत के बदलते परिदृश्यों, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बढ़ता इस्तेमाल, नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत और डिजिटल दूरी को कम करने से जुड़े विचारों को साझा किया। वहीं सातवें सत्र में भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने आज के समय में एआई की महत्वता को बताया और राष्ट्र निर्माण में उनकी महत्वता को रेखांकित किया। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री जतिन प्रसाद ने एआई को लेकर सरकार की नीतियों के बारे में विस्तार से जानकारी साझा की। 

पहला सत्र- ब्रिजिंग द डिजिटल गैप: भारत-फर्स्ट एडटेक मॉडल्स पर चर्चा

इसके पहले सत्र में डिजिटल गैप और एडटेक मॉडल पर गंभीर चर्चा हुई। चर्चा के लिए Uolo के सीईओ पल्लव पांडेय, डीपीएस (मथुरा रोड) के प्रिंसिपल और रायन इंटरनेशनल की प्रिंसिपल सुधा सिंह शामिल हुईं। सभी वक्ताओं ने इस मुद्दे पर अपने विचार साझा किए।

रायन इंटरनेशनल की प्रिंसिपल सुधा सिंह ने कहा, “भारत के लिए हम शिक्षा के क्षेत्र में इफार्ट करते रहेंगे और आगे बढ़ेंगे। देश में कई सारे चेंज आए हैं। हम काफी आगे बढ़ चुके हैं। बहुत कुछ अचीव करना है और हम बहुत कुछ अचीव कर चुके हैं। तकनीक के साथ हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं।”

डीपीएस मथुरा रोड के प्रिंसिपल डॉ. राम सिंह ने सत्र के दौरान कहा, “तकनीक एकमात्र समाधान है जिससे हम बहुत ऊंचाई पर पहुंच सकते हैं। जहां दिक्कत है वहां अगर हम तकनीक पहुंचा सकें तो टीचिंग और लर्निंग बहुत प्रभावी होगी। इसके लिए पब्लिक और प्राइवेट पार्टनरशिप की जरूरत है। इसके लिए हमें रेडिनेस का माहौल बनाना होगा।” 

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