रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में हुए भोज को लेकर कांग्रेस के अंदर उठी टिप्पणियों के बीच पार्टी सांसद शशि थरूर ने साफ किया है कि उन्होंने किसी विवाद में पड़ने के लिए यह कार्यक्रम अटेंड नहीं किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का निमंत्रण ठुकराना उचित नहीं होता, खासकर तब जब उनका काम विदेश मामलों से जुड़ा हो।
थरूर ने कहा कि कुछ कांग्रेस नेताओं ने इस भोज को लेकर बयान दिए हैं, पर वह इस विवाद में नहीं पड़ना चाहते। उनका कहना था कि वह इस बात पर अफसोस जताते हैं कि कुछ नेताओं को आमंत्रण नहीं मिला, लेकिन वह स्वयं राष्ट्रपति द्वारा दिए गए निमंत्रण को अस्वीकार नहीं कर सकते थे। उन्होंने कहा कि किसी भी विदेशी राष्ट्रपति के लिए भोज आयोजित करना भारत की परंपरा है।
राष्ट्रपति भवन की परंपरा का हवाला
थरूर ने बताया कि राष्ट्रपति भवन का भोज केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की डिप्लोमैटिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने बहुत ही सम्मानजनक भाषण दिया, और पुतिन ने भी उतनी ही गर्मजोशी से उसका जवाब दिया। इस दौरान बड़ी संख्या में रूसी प्रतिनिधि और भारत के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
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मैं विवाद में नहीं पड़ूंगा- थरूर
कांग्रेस सांसद ने यह भी कहा कि वह किसी राजनीतिक विवाद को हवा नहीं देना चाहते। उन्होंने साफ किया कि वह वहां पार्टी प्रतिनिधि के रूप में नहीं, बल्कि संसद की विदेश मामलों से जुड़ी कमेटी के अध्यक्ष के रूप में पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि यह मौका उन्हें कई महत्वपूर्ण और सार्थक बातचीत करने का भी मिला।
विपक्ष की मौजूदगी पर बोले थरूर
थरूर ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष के नेताओं की मौजूदगी ऐसे कार्यक्रमों में बेहतर संदेश देती। उन्होंने कहा कि यदि सभी प्रमुख विपक्षी नेताओं को बुलाया जाता, तो यह एक सकारात्मक राजनीतिक संदेश होता। उन्होंने कहा कि वह समझ सकते हैं कि कुछ लोग आमंत्रण न मिलने से निराश हैं।
निमंत्रण न ठुकराने की मजबूरी
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का निमंत्रण उनके संवैधानिक पद से जुड़ा मामला है, इसलिए इसे ठुकराना ठीक नहीं होता। थरूर ने कहा कि उनकी जिम्मेदारी विदेश मामलों से जुड़ी है और ऐसे आयोजनों से भारत की डिप्लोमैटिक प्रक्रिया मजबूत होती है। उन्होंने दोहराया कि वह किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहते और देश के हित में ऐसे आयोजनों में शामिल होना जरूरी है।
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